आजादी के महानायक राजा शिवगुलाम सिंह जी का एक संक्षिप्त परिचय ।
(राजा शिव गुलाम सिंह जी का चित्र)
सन 1857 ई०वी० प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन मे अंग्रेजो के दांत खट्टे करने वाले स्वतंत्रता आंदोलन के नायक राजा दौलत सिंह के पुत्र राजा शिव गुलाम सिंह के किले के ध्वंसावशेष मात्र अब रह गये है । राजा शिवगुलाम सिंह ने अकेले ही अंग्रेजों सेना से लोहा लेते हुए उनके दांत खट्टे कर दिए थे। और उन्होंने अकेले ही सैकड़ो अंग्रेज सैनिकों को मार गिराया था। लेकिन अंग्रेजों ने धोखे से उनकी हत्या कर दी। इसके बाद वह उनका सिर काटकर ले गए, और वह सिर आज भी कोलकात्ता के म्यूजियम में रखा हुआ है।
बस्ती के रूधौली क्षेत्र के 70 गांव की रियासत संभालने वाले दौलत सिंह के 23 वर्षीय बड़े पुत्र शिव गुलाम सिंह में 1857 के आजादी के जंग की आग धधक उठी थी. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजाद कराने की ठान ली. छोटी सी उम्र में ही उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. अपने रियासत के नवजवानों को इकठ्ठा कर सेना बनाना शुरू कर दिया. हालांकि शिव गुलाम सिंह के पास अंग्रेज की बड़ी सेना से सीधा मुकाबला करने के लिए संसाधन की कमी थी. लिहाजा उन्होंने गुरिल्ला युद्ध करने का प्लान बनाया और उसके लिए अपने सैनिकों को ट्रेनिंग भी दी. गुरिल्ला युद्ध के सहारे उन्होंने दर्जनों अंग्रेजी अफसरों को मार गिराया. जिससे वो अंग्रेजी हुकूमत के आंखो की किरकिरी बन गए.
शिव गुलाम सिंह तलवार चलाने की कला में निपुण थे. उनको दोनों हाथों से निपुणता से तलवार चलाने में महारथ हासिल थी. शिव गुलाम सिंह की शहादत स्थल बस्ती जिले के रूधौली तहसील के पैडा चौराहे पर उनकी याद में प्रतीक चिन्ह और पार्क बना हुआ है. बता दें कि शिव गुलाम सिंह के तीन और भाई थे. शिव बक्श सिंह, जीत सिंह व रंगा सिंह, जिसमें उनके तीसरे नंबर के भाई शिवबक्श सिंह की असमय मृत्यु हो गई थी. वहीं बाकी दोनों भाइयों जीत सिंह और रंगा सिंह को अंग्रेजों ने मारकर उनकी रियासत छीन ली. इसके बाद भी शिव गुलाम सिंह पीछे नहीं हटे और अंग्रेजी हुकूमत से अपनी लड़ाई जारी रखी व गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से अंग्रेज अधिकारियों व सैनिकों को मारते रहे.
अंग्रेज चाल चलकर शिव गुलाम सिंह के कुछ करीबी और विश्वासपात्र लोगों को अपने साथ मिला लिया. उन्हीं के माध्यम से शिव गुलाम सिंह को सूचना पहुंचाई की अंग्रेजी हुकूमत के कुछ अधिकारी पैडा में आ रहे हैं, उर्दू में भेजे गए इस संदेश में चाल चली गई. जिससे शिव गुलाम सिंह की सेना भानपुर तहसील के बैड़वा पहुंच गई और शिव गुलाम सिंह अपने मात्र चार सिपाहियों के साथ पैडा पहुंचे. जहा अंग्रेजों के साथ हुए युद्ध में उनको शहादत मिली.
अंग्रेज शहीद शिव गुलाम सिंह को जिंदा पकड़ना चाहते थे. कारण अंग्रेजों ने पहले उनके पैर पर बीस से अधिक गोलियां मारी. फिर भी महान क्रांतकारी शहीद शिव गुलाम सिंह जमीन पर बैठकर ही दोनों हाथों से तलवार चलाते रहे. दर्जनों अंग्रेज सैनिकों का सर धड़ से अलग कर दिए. घबराकर अंग्रेजों को उनके सीने में गोली मारनी पड़ी लड़ाई में राजा के हाथी ने भी खूब कमाल दिखाया, मरने से पहले हाथी सैकड़ों अंग्रेजी सेना को अपने पैर से कुचलकर मार दिया। जब राजा शहीद हो गए, तो अंग्रेजों ने बर्बरता दिखाते हुए राजा सिर काटकर ले गए।
आजादी के महानायक राजा शिव गुलाम सिंह जी का बस्ती के चित्रकार चंद्रप्रकाश चौधरी ने सजीव चित्रण भी किया है
शहीद राजा की याद में दिवाकर विक्रम सिंह और क्षेत्र के कुछ सम्मानित लोगों ने मिलकर पूर्व माध्यमिक विधालय पर एक स्मारक का निर्माण कराया। आज भी राजा और उनकी हाथी की गाथा सुनाई जाती है। पैड़ा में भी पर्यटन विभाग की ओर से स्मारक बनाया गया। राजा के परिवार के कुछ लोग आज भी रुधौली और कनाडा में रहते है।
साभार
शोसल मीडिया