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रविवार, 17 नवंबर 2024
लोकप्रिय चित्रकार चन्द्र प्रकाश चौधरी परिणय सूत्र में बंधे
जीवन परिचय चित्रकार चन्द्र प्रकाश चौधरी
(चन्द्र प्रकाश चौधरी ) |
चन्द्र प्रकाश चौधरी का जन्म सन् 1990 उत्तर भारत के एक हिन्दू कुर्मी परिवार में हुआ था। इनका मूल जन्म निवास स्थान गांव खजुहा है । चित्रकार चन्द्र प्रकाश चौधरी एक किसान परिवार से है इनका वर्तमान निवास स्थान बैदोलिया अजायब है, जो बस्ती जिले में भगवान श्री राम के पवित्र जन्मस्थान और पौराणिक नगरी अयोध्या धाम से 55 किलोमीटर पूर्वोउत्तर में स्थित है। इनके पिता श्री राम दुलारे चौधरी एक मध्यम वर्गीय किसान है जो कि अपना कृषि का व्यवसाय कर रहे है, व इनकी माता श्रीमती मालती चौधरी एक धार्मिक महिला है ये अपने चार भाईयो ( विक्रमा जीत चौधरी, कृष्ण कुमार चौधरी,रामानंद चौधरी ) मे से तीसरे है ।
बेहद सरल स्वाभाव व मृदुभाषी चित्रकार चन्द्र प्रकाश चौधरी इन्होने गांव की प्राथमिक पाठशाला बैदोलिया अजायब, गौर, बस्ती से अपनी आरंभिक शिक्षा ली, और सन 2005 मे आदर्श जनता उ०मा० हलुआ,बस्ती से हाईस्कूल व 2007 में हंसराज लाल इण्टर कालेज गनेशपुर, बस्ती से इण्टरमीडियट की परीक्षाये प्रथम श्रेणीयों मे उत्तीर्ण किया |
सन् 2007 मे उच्च शिक्षा के लिए पूर्वांचल के सुप्रसिध्द महाविद्यालय फैजाबाद जिले के साकेत पी.जी.कालेज मे दाखिला लिया और वही से इन्होने सन 2010 मे चित्रकला,शिक्षाशात्र,समाजशात्र विषय के साथ बी.ए. व सन 2012 मे चित्रकला विषय के साथ एम.ए.की परीक्षायें प्रथम श्रेणीयो मे उत्तीर्ण किया |
पूर्वांचल यूपी के एक प्रसिद्ध डिग्री कॉलेज अपनी परास्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह सन 2012 में कला पेशेवर अध्ययन के लिए देश के विविध संस्थानो से जुड़ कर चित्रकला का गहन अध्ययन किया और अपने जन्मजात कलात्मक गुणों के साथ उन्होंने कला के क्षेत्र मे प्रवेश किया ।
इसी दौरान इनकी मुलाकात जाने माने योग साधक व कला अाचार्य महेश योगी जी से हुई, और ऐ इन्ही को अपना कला व आदर्श मानकर उनके कला संस्थान ( सप्तरंग ललित कला संस्थान, अयोध्या ) मे प्रवेश लिया और महेश जी की सरण स्थली मे रह कर कला की साधना करने लगे | जिससे इनकी कला दिनो दिन. निखरती चली गयी | इसी बीच इन्हे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन फैजाबाद द्वारा सम्मानित किया गया | फिर इन्होने सन 2011 मे अपने गृह जनपद बस्ती मे एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन कर अपनी कला प्रतिभा का लोहा मनवाया, जिसकी जनमानस मे मुक्त कंठ से प्रशंसा की गयी | इसके बाद इनकी सफलताओ का जो दौर चला वह कभी नही थमा, इन्होने राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ, के साथ साथ अलीगढ मुस्लिम विश्व विद्यालय, फैजाबाद, सुलतानपुर, अयोध्या , मनवर महोत्सव हर्रैया, बस्ती, अम्बेडकर नगर, कप्तानगंज आदि प्रदेश के विविध स्थानो व जनपदो मे अपने चित्र कृतियो का प्रदर्शन कर अपनी कला प्रतिभा का परिचय दिया | सन 2012 राज्यस्तरीय चित्रकला प्रदर्शनी देव इन्द्रावती पी.जी.कालेज कटहरी, अम्बेडकर नगर मे इन्हे "फस्ट एण्ड लास्ट" नामक चित्रकृती के लिए सुप्रसिध्द अन्तर राष्ट्रीय चित्रकार किशन सोनीजी द्वारा सम्मानित किया |
कलाकारी के साथ ही साथ चन्द्र प्रकाश चौधरी ने लेखन कार्यो मे भी अपनी दक्षता का परिचय दिया है बेहतरीन लेख व प्रभाव पूर्ण संवादो के दम पर इनकी रचनाये व लेख समाचार पत्रो मे अपना विशिष्ठ स्थान बना चुकी है |
महज 24 वर्ष मे उम्र मे ही इन्होने अपने कला गुरू महेश त्रिपाठी के जीवन लीला पर आधारित एक ग्रंथ की रचना की है जिसकी देश अनेको कलाविदो व लेखको ने मुक्त कंठ से सराहना की है |
इतना ही नही इन्होने इण्टर मीडिएट के विद्यार्थियो व कला पाठको के लिए, सन 2017 में "NATURE DRAWING" (प्रकृति चित्रण - पुष्प चित्रण) नामक पुस्तक का सृजन कर कला के विद्यार्थियो को एक कला सीखने का शसक्त मार्ग प्रसस्त किया । पुस्तक का यह संस्करण अध्येताओ की कलात्मक रूचि का विकास करेगा और किशोर कलाकारो की प्रतिभा के विकास को बहुमुखी आयाम देगा,एेसा इनका दृढ़ विश्वास है ।
इन्होने सन 2017 मे एक फिर अपने गृह जनपद चित्रकला प्रद्रर्शनी का आयोजन कर जनमानस कला का प्रसार किया और इसी वर्ष इन्हे बस्ती जिले लोक प्रिय नेता पूर्व विधायक राना कृष्ण किंकर सिंह जी द्वारा सम्मानित किया गया ।
चन्द्र प्रकाश चौधरी द्वारा सृजित चित्र देश कई संग्रहालयो मे संग्रहित है और बस्ती जनपद के प्रमुख नेताओ जैसे राना कृष्ण किंकर सिंह, राम प्रसाद चौधरी, सी.ए.चंद्र प्रकाश शुक्ल आदि के निजी संग्रह मे सुसजित है
समाज सेवा मे भी कभी ए पीछे नही रहे ये स्काउट गाइड, रेडक्रास जैसी समाज सेवी संगठनो से जुड़े रहे है । ग्रामीण अंचल मे कला शिक्षा को लेकर इन्होने समय समय पर नि: शुल्क चित्रकला प्रशिक्षण शिविरो का व चित्रकला प्रतियोगिताओ आयोजन करते रहे है | अपनी प्रभाव चित्रकारी, लेखनी,व ओजपूर्ण संवादो से नित नित लोगो के दिलो दिमाग मे छाप छोड़ रहे युवा चित्रकार ने ग्रामीण गरीबों के बच्चो को मुफ्त मे शिक्षा व पाठ्य समाग्री वितरण आयोजन किया ।
प्रचार प्रसार से दूर सर्वथा दूर रहकर एकान्त कला साधना के अभ्यासी युवा चित्रकार चन्द्र प्रकाश चौधरी जी ने अपने अल्पकाल मे अथक साधना की है ! भीड़ भाड़ और कोलाहल इन्हें कभी अभीष्ट नही रहे है । यही कारण है कि शहरो को छोड़ उन्होने ग्राम अंचल मे कला की दीर्घ साधना कर रहे है । कर्तव्य-पालन सबसे बड़ी ईश वन्दना है, इस सिध्दान्त का अक्षरत पालन करते हुए उन्होने कला अध्यापक से कला प्रवक्ता पद की गरिमा को निरन्तर बढा रहे है ।
इनकी कला साधना सदैव प्रशंसा की पात्र रही है । उनकी तूलिका ने न केवल मानव संवेगो और संवेदनाओ को आकार दिया है अपितु प्रकृति के विभिन्न रम्यरूपो को सजीवता के साथ साकार किया है । साथ ही ग्रामीण और शहरी गरीब बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने के लिए ये वर्तमान समय मे गृह जनपद बस्ती मे विविध स्कूलो व संस्थाओ से जुड़कर नव निहालो मे कला की अलख जगा रहे है |
रविवार, 25 अगस्त 2024
चित्रकार चन्द्र प्रकाश चौधरी ने बनाया स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सीताराम शुक्ल का चित्र
गुरुवार, 4 जुलाई 2024
मरकाहे चौधरी का जीवन परिचय । Markahe Chaudhary Biography
24 दिसंबर सन 1958 बस्ती जनपद के कप्तानगंज विधानसभा के समीप स्थित ग्राम सभा महुआ मिश्र के ग्राम खजुहा में मध्यमवर्गीय किसान परिवार सद्दर चौधरी व लाली देवी के चौथी संतान के रूप में जन्मे मन्नू चौधरी (मरकाहे) के कुल 4 भाई और एक बहन है। आपकी माता श्रीमती लाली देवी करुण हृदया सुरूचि संपन्ना एवं धार्मिक महिला थी। ये अपना अधिक समय घरेलू कार्य एवं धार्मिक कार्यों में बिताती थी, मां के धार्मिक विचारों के पूर्ण झलक आप में दिखाई पड़ते हैं।

परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए 10 मार्च सन 1977 को गोरखपुर से बनारस होते हुए आप मिर्जापुर पहुंचे, जहां जेपी सीमेंट फैक्ट्री में 11 माह तक कार्यरत रहे, यहां रहते हुए धार्मिक कार्यों में भी अपनी विशेष रूचि बनाए रखें।
11 फरवरी सन 1978 को मिर्जापुर से वापस आने के बाद 21 अक्टूबर सन 1978 फैजाबाद से ट्रेन का सफर करते हुए दिल्ली पहुंचे, वहां एक गोदाम मे काम करने लगे। इनका मन यहां भी नही लगा गांव के मिट्टी की खुशबू पुनः इन्हे 18 नवम्बर सन 1978 महज 27 दिन बाद अपने ओर खीच ले आयी।
इसी दौरान आप वैवाहिक परिणय सूत्र के बंधन में बंधे लेकिन समय को शायद यह मंजूर नहीं था, कुछ दिनों उपरांत आप दोनो लोग एक दूसरे से अलग हो गए और नितांत एकांत जीवन व्यतीत कर रहे हैं । कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक किसान परिवार में एक ऐसे व्यक्ति का उदय हो रहा है जो आगे चलकर समाज सेवा की एक मिसाल बनेगा ।
02 अगस्त सन 1985 अपनी माता की मृत्यु के पश्चात बैदोंलिया अजायब मैं अंतिम संस्कार में पहुंचे जहां वे अपने सबसे छोटे पुत्र राम दुलारे चौधरी के साथ रहा करती थी। मृत्यु भोज समाप्त होने के उपरांत आपके छोटे भाई द्वारा बैदोलिया अजायब में ही रहने के लिए आग्रह किया गया, सोच विचार के बाद आपने स्वीकार किया और घर की बागडोर अपने हाथ में ले लिये। दिन रात अथक परिश्रम करते हुए,आपके कुशल नेतृत्व में मकान बना,तथा प्राचीन परंपरा से चली आ रही कृषि पद्धति से दूर हटकर कृषि में आधुनिक कृषियंत्रों का प्रयोग करने की और अधिक जोर दिया, और सन 2000 में कृषि कार्यों के लिए एक ट्रैक्टर खरीदा, जिससे कृषि का कार्य और अधिक सुगम हुआ।
आप एक अच्छे वक्ता एवं हास्य व्यंगकार भी हैं, अत्यंत सरल एवं सोम्य एवं धार्मिक विचार होने के कारण देशाटन तीर्थाटन आदि में इनका विशेष लगाव रहा है । समय समय पर देशाटन एवं तीर्थाटन के लिए प्रवास भी करते रहे हैं, अयोध्या, विध्यांचल, काशी, देवीपाटन इनके प्रमुख दर्शन के केन्द्र रहे है ।
संपूर्ण जनमानस में लोग इन्हे "मरकाहे "नाम से जानते व पहिचानते हैं लेकिन इनका वास्तविक नाम मुन्नू चौधरी है । इन्होने अपने छोटे भाई का एक कुशल पथ प्रदर्शक के रूप में सदैव मार्गदर्शन किया, आप दोनों भाइयों को देखने से ऐसा एहसास होता है कि आप दोनो लोगो में काफी गहरी मित्रता हो, इतने घुलमिल मिलकर रहने के बावजूद भी छोटे-बड़े के संस्कार झलक जाते हैं। माता-पिता की आदर्शवादी विचारों का प्रभाव तथा कुशल प्रयासों से यह निरंतर आगे बढ़ते गए इन्होंने अभी तक अपने जीवन काल में समाज सेवा के कार्यो के लिए हार नहीं मानी है ।
आप युवाअवस्था से राजनिति मे भी विशेष से सक्रिय रहे हैं, चौधरी चरण सिंह, डॉ राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, एवं किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैट के विचारो से अत्यधिक प्रभावित रहे ।ग्राम पंचायत स्तर की राजनीति मे भी अपनी दावेदारी ठोक दी लेकिन सहयोगियो के भीतरघात करने के कारण दूसरे पायदान पर रहे। बाद में ग्राम पंचायत के सदस्य मनोनीत किए गए। क्षेत्र की राजनीति के चाणक्य के रूप में भी जाने जाते है । कई बार इनका विवादो में भी नाम आया लेंकिन अपनी बेदाग छवि को बनाये रखने कामयाब रहे, और सिद्धांतवादी राजनीति में सक्रिय है।
इनकी भावना है कि हमारे देश की उत्तम संस्कृति एवं सभ्यता को हर एक व्यक्ति पूर्ण रूप से समझ सके, तथा उसका अनुसरण कर सके, इन्होंने अनेको धार्मिक कार्यक्रमों में सहभागिता के साथ-साथ मूर्ति सृजन के कार्यों में भी अपनी कुशलता दिखाई है । विद्यालयों पर आयोजित समारोह एवं राष्ट्रीय पर्वो में निरंतर शिरकत करते रहे हैं। गांव की हरियाली लहलहाती फसलों की खनक, पीपल की छांव माटी की महक आपके विचारों में नितांत झलकता रहता है।
आपकी सेवा भावना नदियों की भांति प्रवाहित होकर सदैव एक नए मार्ग प्रशस्त करती रहती है,आपकी सरसता विनम्रता सेवाभावना लोगों के मन मस्तिष्क के अंतरात्मा को स्पर्श कर शीतलता प्रदान करती है, क्षेत्र में मरकाहे चौधरी नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है ।
आपका का प्रमुख उद्देश्य रहा है कि देश के युवाओं में राष्ट्रप्रेम सांप्रदायिक सद्भाव के साथ साथ समाज सेवा की भावनाओं का भी पूर्ण रूप से विकास हो, जिससे हमारा देश एक उत्तम संस्कृत को लेकर विश्व के मरुस्थल पर अनंत काल तक अपने अस्तित्व को कायम रख सके, आपने इन्हीं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए देश व समाज के अनेको परिवारों को आश्रय एवं सहायता प्रदान कर रहे है।
आप सहज सरल और निर्भिमानी लोगों में से हैं जो धन और यश का मोह त्याग कर सच्चे मन से समाज सेवा करने हेतू निरंतर प्रयासरत हैं ।
(15/05/2023 साक्षात्कार व अभिलेखों से व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है)