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गुरुवार, 4 जुलाई 2024

मरकाहे चौधरी का जीवन परिचय । Markahe Chaudhary Biography

 24 दिसंबर सन 1958 बस्ती जनपद के कप्तानगंज विधानसभा के समीप स्थित ग्राम सभा महुआ मिश्र के ग्राम खजुहा में मध्यमवर्गीय किसान परिवार सद्दर चौधरी व लाली देवी के चौथी संतान के रूप में जन्मे मन्नू चौधरी (मरकाहे) के कुल 4 भाई और एक बहन है। आपकी माता श्रीमती लाली देवी करुण हृदया सुरूचि संपन्ना एवं धार्मिक महिला थी। ये अपना अधिक समय घरेलू कार्य एवं धार्मिक कार्यों में बिताती थी, मां के धार्मिक विचारों के पूर्ण झलक आप में दिखाई पड़ते हैं।


                     
                     मरकाहे चौधरी 



अस्वस्थता के चलते इनके पिता अल्पआयु में ही स्वर्ग सिधार गए थे । घर की पूरी जिम्मेदारी इनकी माताजी के कंधों पर थी । जिन्होंने अपने दायित्वों कर्तव्यो का निर्वहन करते हुए अपनी संतानों का पालन पोषण किया। पारिवारिक विषम परिस्थितियों के कारण केवल प्राथमिक स्तर तक की ही शिक्षा प्राप्त कर पाए हैं।
घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण 11 अप्रैल सन 1967  में अपनी मौसी के घर खिरिहवा निवास करने के लिए चले आये। और वही खेती किसानी में अपने मौसा का हाथ बटाने लगे, यहां 21 वर्षो तक रहे । समय के साथ अपने आप को बदलते हुए बैलगाड़ी चलाना सीखना शुरू कर दिये जो जसईपुर कप्तानगंज तक का सफर तय किया करते थें।

परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए 10 मार्च सन 1977 को गोरखपुर से बनारस होते हुए आप मिर्जापुर पहुंचे, जहां जेपी सीमेंट फैक्ट्री में 11 माह तक कार्यरत रहे, यहां रहते हुए धार्मिक कार्यों में भी अपनी विशेष रूचि बनाए रखें।

11 फरवरी सन 1978 को मिर्जापुर से वापस आने के बाद 21 अक्टूबर सन 1978 फैजाबाद से ट्रेन का सफर करते हुए दिल्ली पहुंचे, वहां एक गोदाम मे काम करने लगे। इनका मन यहां भी नही लगा गांव के मिट्टी की खुशबू पुनः इन्हे 18 नवम्बर सन 1978 महज 27 दिन बाद अपने ओर खीच ले आयी।

इसी दौरान आप वैवाहिक परिणय सूत्र के बंधन में बंधे लेकिन समय को शायद यह मंजूर नहीं था, कुछ दिनों उपरांत आप दोनो लोग एक दूसरे से अलग हो गए और नितांत एकांत जीवन व्यतीत कर रहे हैं । कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक किसान परिवार में एक ऐसे व्यक्ति का उदय हो रहा है जो आगे चलकर समाज सेवा की एक मिसाल बनेगा ।



 02 अगस्त सन 1985 अपनी माता की मृत्यु के पश्चात बैदोंलिया अजायब मैं अंतिम संस्कार में पहुंचे जहां वे अपने सबसे छोटे पुत्र राम दुलारे चौधरी के साथ रहा करती थी। मृत्यु भोज समाप्त होने के उपरांत आपके छोटे भाई द्वारा बैदोलिया अजायब में ही रहने के लिए आग्रह किया गया, सोच विचार के बाद आपने स्वीकार किया और घर की बागडोर अपने हाथ में ले लिये। दिन रात अथक परिश्रम करते हुए,आपके कुशल नेतृत्व में मकान बना,तथा प्राचीन परंपरा से चली आ रही कृषि पद्धति से दूर हटकर कृषि में आधुनिक कृषियंत्रों का प्रयोग करने की और अधिक जोर दिया, और सन 2000 में कृषि कार्यों के लिए एक ट्रैक्टर खरीदा, जिससे कृषि का कार्य और अधिक सुगम हुआ।

 आप एक अच्छे वक्ता एवं हास्य व्यंगकार भी हैं, अत्यंत सरल एवं सोम्य एवं धार्मिक विचार होने के कारण  देशाटन तीर्थाटन आदि में इनका विशेष लगाव रहा है ।  समय समय पर देशाटन एवं तीर्थाटन के लिए प्रवास भी करते रहे हैं, अयोध्या, विध्यांचल, काशी, देवीपाटन इनके प्रमुख दर्शन के केन्द्र रहे है । 

संपूर्ण जनमानस में लोग इन्हे "मरकाहे "नाम से जानते व पहिचानते हैं लेकिन इनका वास्तविक नाम मुन्नू चौधरी है । इन्होने अपने छोटे भाई का एक कुशल पथ प्रदर्शक के रूप में सदैव मार्गदर्शन किया, आप दोनों भाइयों को देखने से ऐसा एहसास होता है कि आप दोनो लोगो में काफी गहरी मित्रता हो, इतने घुलमिल मिलकर रहने के बावजूद भी छोटे-बड़े के संस्कार झलक जाते हैं। माता-पिता की आदर्शवादी विचारों का प्रभाव तथा कुशल प्रयासों से यह निरंतर आगे बढ़ते गए इन्होंने अभी तक अपने जीवन काल में समाज सेवा के कार्यो के लिए हार नहीं मानी है । 

आप युवाअवस्था से राजनिति मे भी विशेष से सक्रिय रहे हैं, चौधरी चरण सिंह, डॉ राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, एवं किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैट के विचारो से अत्यधिक प्रभावित रहे ।ग्राम पंचायत स्तर की राजनीति मे भी अपनी दावेदारी ठोक दी लेकिन सहयोगियो के भीतरघात करने के कारण दूसरे पायदान पर रहे। बाद में ग्राम पंचायत के सदस्य मनोनीत किए गए।  क्षेत्र की राजनीति के चाणक्य के रूप में भी जाने जाते है । कई बार इनका विवादो में भी नाम आया लेंकिन अपनी बेदाग छवि को बनाये रखने कामयाब रहे, और सिद्धांतवादी राजनीति में सक्रिय है।

इनकी भावना है कि हमारे देश की उत्तम संस्कृति एवं सभ्यता को हर एक व्यक्ति पूर्ण रूप से समझ सके, तथा उसका अनुसरण कर सके, इन्होंने अनेको धार्मिक कार्यक्रमों में सहभागिता के साथ-साथ मूर्ति सृजन के कार्यों में भी अपनी कुशलता दिखाई है । विद्यालयों पर आयोजित समारोह एवं राष्ट्रीय पर्वो में निरंतर शिरकत करते रहे हैं। गांव की हरियाली लहलहाती फसलों की खनक, पीपल की छांव माटी की महक आपके विचारों में नितांत झलकता रहता है।

 

आपकी सेवा भावना नदियों की भांति प्रवाहित होकर सदैव एक नए मार्ग प्रशस्त करती रहती है,आपकी सरसता विनम्रता सेवाभावना लोगों के मन मस्तिष्क के अंतरात्मा को स्पर्श कर शीतलता प्रदान करती है, क्षेत्र में मरकाहे चौधरी नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है ।


आपका का प्रमुख उद्देश्य रहा है कि देश के युवाओं में राष्ट्रप्रेम सांप्रदायिक सद्भाव के साथ साथ समाज सेवा की भावनाओं का भी पूर्ण रूप से विकास हो, जिससे हमारा देश एक उत्तम संस्कृत को लेकर विश्व के मरुस्थल पर अनंत काल तक अपने अस्तित्व को कायम रख सके, आपने इन्हीं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए देश व समाज के अनेको परिवारों को आश्रय एवं सहायता प्रदान कर रहे है।



आप सहज सरल और निर्भिमानी लोगों में से हैं जो धन और यश का मोह त्याग कर सच्चे मन से समाज सेवा करने हेतू निरंतर प्रयासरत हैं । 


(15/05/2023 साक्षात्कार व अभिलेखों से व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है)

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