देश की आजादी के लिए 1857 में बगावत का बिगुल बजाने वाले राजा नगर उदय प्रताप सिंह ने जीते जी अंग्रेजों से हार नहीं मानी। मुखबिरों के धोखे से गिरफ्तार हुए राजा उदय प्रताप ने गोरखपुर की जेल में संतरी के बैनेट को गले में भोंग कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी।
(राजा उदय प्रताप नारायण बहादुर सिंह का चित्र )
दिल्ली के बादशाह ने 1857 में अग्रेंजों के खिलाफ लड़ाई का आह्वान किया तो राजा उदय प्रताप सिंह भी इस जंग में कूद पड़े। अपने बहनोई अमोढ़ा नरेश राजा जालिम सिंह सलाह-मशविरा किया। उनकी सहमति मिलने पर उदय प्रताप सिंह ने अंग्रेज सैनिकों के जल मार्ग को बाधित करने का निर्णय लिया। अपने राज से होकर गुजर रही सरयू नदी के तट पर अपने सैनिकों को तैनात कर दिया।
फैजाबाद की तरफ से गोरखपुर की तरफ जा रहे अंग्रेज सैनिकों की नाव पर धावा बोल कर उनके अधिकारियों की हत्या कर दी। किसी तरह एक अंग्रेज सैनिक अपनी जान बचाकर गोरखपुर पहुंचा। उसके बाद गोरखपुर से अंग्रेज सेना नगर बाजार राज पर हमला करने के लिए कूच कर गई।
👉 घुसुरिया में लगा था अंग्रेजों का बेड़ा
अंग्रेजी सेना ने राजा नगर के किले से एक किमी दूर घुसुरिया गांव के पास अपनो बेड़ा लगाया। सितम्बर 1857 में हुई लड़ाई के दौरान अंग्रेजों ने गोला-बारूद के साथ तोपों का प्रयोग किया। राजा नगर की सेना बारूद व तोपों के आगे नहीं टिकी।
👉गर्भवती पत्नी के साथ हो गए थे भूमिगत
अंग्रेजी सेना से घिरता देख राजा उदय प्रताप सिंह अपनी गर्भवती पत्नी के साथ भूमिगत हो गए। राजा की छावनी मजगवा में थी। नगर बाजार से मजगवां तक सुरंग थी, जिसके सहारे वह निकल गए। अंग्रेजी सेना ने किले पर हमला कर ध्वस्त कर दिया, जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं। अंग्रेजों ने उनकी रियासत को जब्त कर लिया और दो हिस्से में बांट दिया। गर्भवती रानी को एक शुभचिंतक के यहां शरण दिला दिया।
आजादी के महानायक राजा उदय प्रताप नारायण बहादुर सिंह जी का बस्ती के चित्रकार चंद्रप्रकाश चौधरी ने जलरंग माध्यम से सजीव चित्रण किया है
👉 बहराइच के जंगलों में बिताया समय
अंग्रेजों के आगे आत्मसमपर्ण करने की बजाए उदय प्रताप सिंह ने बहराइच के जंगलों में शरण लिया। काफी प्रयास के बाद भी अंग्रेज अधिकारी उन्हें पकड़ नहीं पाए। उसके बाद फूट डालो राज करो की नीति अपनाते हुए अंग्रेज अधिकारियों ने राजा नगर के विश्वासपात्रों को फोड़ लिया। उनकी निशानदेही पर अंग्रेजों ने धोखे से सिकरी नामक स्थान पर गिरफ्तार कर लिया।
👉 गोरखपुर की जेल में किए गए बंद
गिरफ्तार राजा नगर को गोरखपुर की जेल पहुंचाया गया। उन पर केस चला कर अंग्रेज अधिकारियों के हत्या के जुर्म में फांसी की सजा दी गई। अंग्रेजों के हाथ मौत मिले, यह उन्हें गवारा नहीं था। फांसी के एक दिन पहले बैरक के बाहर तैनात संतरी से पानी मांगा। इसी बहाने उसकी राइफल को छीन उसमें लगी कटार को अपने गले में भोंक कर जीवनलीला समाप्त कर ली।
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